क्या आप जानते हैं हिन्दी साहित्य में हास्य रस का कितना महत्व हैं। आज हम आपको हास्य रस के बारे में विस्तार से बताएंगे। इस लेख में आप Hasya Ras Ki Paribhasha , हास्य रस का उदाहरण, महत्व और अन्य संबंधित जानकारी प्राप्त करेंगे।
अगर आप हास्य रस के विषय में विस्तार से जानकारी चाहते हैं तो इस पोस्ट को पूरा जरुर पढ़े क्योकि हमने इस लेख में Hasya Ras Ka Udaharan बहुत ही आसान भाषा में समझाया हैं।
हमने इस लेख में हिन्दी साहित्य के प्रचलित रस के अन्य महत्वपूर्ण विस्तृत जानकारी जैसे हास्य रस की परिभाषा विद्वानों की दृष्टि से किस प्रकार दिया गया है। हास्य रस कितने प्रकार का होता हैं? हास्य रस का स्थायी भाव क्या हैं। हास्य रस के प्रकार, हास्य रस का महत्व तथा हास्य रस और व्यंग में क्या अंतर हैं।
हमने इसे सरल शब्दों में समझाने की कोशिश की है, ताकि आप हास्य रस के बारे में अच्छी तरह समझ सकें। इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे उदाहरण भी देंगे जो आपको हंसने पर मजबूर कर देंगे।
Hasya Ras Ki Paribhasha - हास्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित
Hasya Ras Ka Udaharan - हास्य रस के 20 उदाहरण
प्रेमियों की शक्ल कुछ कुछ भूत होनी चाहिए।अक्ल आकी नाम में छः सूत होनी चाहिए ।इश्क़ करने के लिए काफी कलेजा ही नहीआशिकों की चाँद (सिर) भी मजबूत होनी चाहिए।
पड़ोसी की बिल्ली चढ़ी पेड़ पर,देखकर उसे भागा मेरा बंदर।दोनों में हुई जंग देखकर हँसे सब,कैसा मजा आया, क्या ही सुंदर।
बच्चे ने कहा, "मैं उड़ सकता हूँ",कूदकर गिरा ज़ोर से ज़मीन पर।सबने देखा तो हँसी आ गई,क्या ही मज़ा आया, ये क्या सीन था।
बहुरिया सास का भय कइकैबसि सी-सी-सी सिसियाय दिहिस।आड़े मा धोती बदलि लिहिसपानी धरती पै नाय दिहिस॥
जेहि दिसी बैठे नारद फूली।सो दिसी तेहि न विलोकी भूली॥पुनि-पुनि मुनि उकसहि अकुलाहीं।देखि दसा हरगन मुसकाहीं॥
तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप,साज मिले पन्द्रह मिनट, घण्टा भर आलाप।घण्टा भर आलाप, राग में मारा गोता,धीरे-धीरे खिसत चुके थे सारे श्रोता।
बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय।किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।।
बहुए सेवा सास की। करती नहीं खराब।।पैर दाबने की जगह। गला रही दबाय।।
ई जाड़े मा हारी मानेनि,पानी ते पंडित सिव किसोर।तन पर थ्वारै पानी चुपरयँमुलु मंत्र पढ़त हयँ जोर-जोर॥
नाना वाहन नाना वेषा। विंहसे सिव समाज निज देखा॥कोउ मुखहीन, बिपुल मुख काहू बिन पद कर कोड बहु पदबाहू
सीस पर गंगा हँसे, भुजनि भुजंगा हँसैं।हास ही को दंगा भयो नंगा के विवाह में।।
बिहसि लखन बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभर यानीपुनि पुनि मोहि देखात कुहारु। चाहत उड़ावन कुंकि पाहरू।।
मैं ऐसा महावीर हूँ, पापड़ को तोड़ सकता हूँ।अगर आ जाए गुस्सा, तो कागज को भी मोड़ सकता हूँ।।
आगे चले बहुरि रघुराई ।पाछे लरिकन धुनी उड़ाई।।
तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप,साज मिले पंद्रह मिनट, घण्टा भर आलाप।घण्टा भर आलाप, राग में मारा गोता,धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता।
जेहि दिसि बैठे नारद फूली।सो दिसि तेहि न बिलोकी भूली।।
बिहसि लखन बोले मृदु बानी, अहो मुनीषु महाभर यानी।पुनी पुनी मोहि देखात कुहारू, चाहत उड़ावन फुंकी पहारु।
हँसि-हँसि भाजैं देखि दूलह दिगम्बर को,पाहुनी जे आवै हिमाचल के उछाह में।
पूर्ण सफलता के लिए, दो चीज़ें रखो याद,मंत्री की चमचागिरी, पुलिस का आशीर्वाद।
विन्ध्य के वासी उदासी तपो व्रत धारी महा बिनु नारि दुखारेगौतम तीय तरी तुलसी सो कथा सुनि भे मुनि वृन्द सुखारे।
हास्य रस की परिभाषा विद्वानों द्वारा-
भरत मुनि
"विचित्रवेषभूषाकारणाद्भुतविलासात् हास्यः।"
आचार्य विश्वनाथ
"विचित्रवेषादि कारणात् हास्य रसो जायते।"
Hasya Ras Ke Prakar- हास्य रस का प्रकार
- आत्मस्थ हास्य रस
- परस्थ हास्य रस
आत्मस्थ हास्य रस-
परस्थ हास्य रस-
Hasya Ras Ke Bhav - हास्य रस के भाव
रस का नाम | हास्य रस |
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स्थाई भाव | हास |
अनुभाव | हंसते-हंसते पेट पर बल पड़ना, आंखों में पानी आना, आंखों को मीचना,हंसी से ताली पीटना, मुस्कुराहट। |
संचारी भाव | अश्रु, हर्ष, चपलता, स्नेह, उत्सुकता, स्मृति, आवेग आदि। |
आलम्बन | अनोखी और विचित्र वेशभूषा, विकृत आकृति वाला व्यक्ति, मूर्खतापूर्ण चेष्टा करने वाला व्यक्ति, हंसाने वाली व्यक्ति। |
उद्दीपन | आलम्बन द्वारा की गई अनोखी एवं विचित्र चेष्टाएं। |
Hasya Ras Ka Mahatva - हास्य रस का महत्व
साहित्य में:
- साहित्य को रोचक बनाता है और पाठकों को बांधे रखता है।
- पात्रों और स्थितियों को अधिक गहराई से समझने में मदद करता है।
समाज में:
- तनाव कम करता है और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
- सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है और सकारात्मक माहौल बनाता है।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से:
- रचनात्मकता को बढ़ावा देता है और नई सोच को प्रेरित करता है।
- नकारात्मक भावनाओं को कम करने में मदद करता है।
हास्य रस और व्यंग में अंतर - Hasya Ras Aur Vyang Me Antar
हास्य रस
- लक्ष्य: मनोरंजन करना, हंसाना।
- प्रभाव: सकारात्मक, हर्ष, आनंद का भाव पैदा करता है।
- उद्देश्य: मन को प्रसन्न करना, तनाव कम करना।
- उदाहरण: एक हास्य फिल्म, चुटकुला, कॉमेडी शो।
व्यंग्य
- लक्ष्य: समाज की बुराइयों, व्यक्तियों की कमियों पर प्रहार करना।
- प्रभाव: हंसाने के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर करता है।
- उद्देश्य: आलोचना, जागरूकता, सुधार लाना।
- उदाहरण: व्यंग्य लेखन, राजनीतिक व्यंग्यचित्र, व्यंग्यपूर्ण टिप्पणी।
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