शुक्रवार, 29 नवंबर 2024

Hasya Ras Ki Paribhasha - हास्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित | Hasya Ras Ka Udaharan

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क्या आप जानते हैं हिन्दी साहित्य में हास्य रस का कितना महत्व हैं। आज हम आपको हास्य रस के बारे में विस्तार से बताएंगे। इस लेख में आप Hasya Ras Ki Paribhasha , हास्य रस का उदाहरण, महत्व और अन्य संबंधित जानकारी प्राप्त करेंगे। 

अगर आप हास्य रस के विषय में विस्तार से जानकारी चाहते हैं तो इस पोस्ट को पूरा जरुर पढ़े क्योकि हमने इस लेख में Hasya Ras Ka Udaharan बहुत ही आसान भाषा में समझाया हैं।  

hasya ras ki paribhasha

हमने इस लेख में हिन्दी साहित्य के प्रचलित रस के अन्य महत्वपूर्ण विस्तृत जानकारी जैसे हास्य रस की परिभाषा विद्वानों की दृष्टि से किस प्रकार दिया गया है। हास्य रस कितने प्रकार का होता हैं? हास्य रस का स्थायी भाव क्या हैं। हास्य रस के प्रकार, हास्य रस का महत्व तथा हास्य रस और व्यंग में क्या अंतर हैं। 

हमने इसे सरल शब्दों में समझाने की कोशिश की है, ताकि आप हास्य रस के बारे में अच्छी तरह समझ सकें। इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे उदाहरण भी देंगे जो आपको हंसने पर मजबूर कर देंगे।

Hasya Ras Ki Paribhasha -  हास्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित 

हास्य रस किसी व्यक्ति या वस्तु की असाधारण वेशभूषा, आकृति, वाणी या व्यवहार को देखकर उत्पन्न होने वाले आनंद या हर्ष के भाव को कहते हैं। जब यह भाव विभाव, अनुभाव और संचारी भावों के सहयोग से पुष्ट हो जाता है, तो उसे हास्य रस कहते हैं।

सरल शब्दों में कहें तो, किसी व्यक्ति या वस्तु की हास्यास्पदता को देखकर जो हंसी या मज़ा आता है, वही हास्य रस कहलाता है।

हास्य रस, हिंदी आचार्य भरत मुनि द्वारा प्रतिपादित रसों में से एक है। यह रस किसी व्यक्ति या वस्तु की विचित्रता, असंगति या विरोधाभास को देखकर उत्पन्न होने वाले हर्ष या आनंद के भाव को दर्शाता है।

Hasya Ras Ka Udaharan - हास्य रस के 20 उदाहरण

अभी तक आपने इस  हास्य रस की परिभाषा के बारे में ही जाना हैं लेकिन अब हम आपको Hasya Ras Ke Udaharan के बारे में बताने जा रहे है। 

1. उदाहरण
प्रेमियों की शक्ल कुछ कुछ भूत होनी चाहिए।
अक्ल आकी नाम में छः सूत होनी चाहिए ।
इश्क़ करने के लिए काफी कलेजा ही नही
आशिकों की चाँद (सिर) भी मजबूत होनी चाहिए।
2. उदाहरण- 
पड़ोसी की बिल्ली चढ़ी पेड़ पर,
देखकर उसे भागा मेरा बंदर।
दोनों में हुई जंग देखकर हँसे सब,
कैसा मजा आया, क्या ही सुंदर।
3. उदाहरण- 
बच्चे ने कहा, "मैं उड़ सकता हूँ",
कूदकर गिरा ज़ोर से ज़मीन पर।
सबने देखा तो हँसी आ गई,
क्या ही मज़ा आया, ये क्या सीन था।
4. उदाहरण- 
बहुरिया सास का भय कइकै
बसि सी-सी-सी सिसियाय दिहिस।
आड़े मा धोती बदलि लिहिस
पानी धरती पै नाय दिहिस॥
5. उदाहरण- 
जेहि दिसी बैठे नारद फूली।
सो दिसी तेहि न विलोकी भूली॥
पुनि-पुनि मुनि उकसहि अकुलाहीं।
देखि दसा हरगन मुसकाहीं॥
6. उदाहरण- 
तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप,
साज मिले पन्द्रह मिनट, घण्टा भर आलाप।
घण्टा भर आलाप, राग में मारा गोता,
धीरे-धीरे खिसत चुके थे सारे श्रोता।
7. उदाहरण- 
बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय।
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।।
8. उदाहरण- 
बहुए सेवा सास की। करती नहीं खराब।।
पैर दाबने की जगह। गला रही दबाय।।
9. उदाहरण- 
ई जाड़े मा हारी मानेनि,
पानी ते पंडित सिव किसोर।
तन पर थ्वारै पानी चुपरयँ
मुलु मंत्र पढ़त हयँ जोर-जोर॥
10. उदाहरण- 
नाना वाहन नाना वेषा। विंहसे सिव समाज निज देखा॥
कोउ मुखहीन, बिपुल मुख काहू बिन पद कर कोड बहु पदबाहू
11. उदाहरण- 
सीस पर गंगा हँसे, भुजनि भुजंगा हँसैं।
हास ही को दंगा भयो नंगा के विवाह में।।
12. उदाहरण- 
बिहसि लखन बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभर यानी
पुनि पुनि मोहि देखात कुहारु। चाहत उड़ावन कुंकि पाहरू।।
13. उदाहरण- 
मैं ऐसा महावीर हूँ, पापड़ को तोड़ सकता हूँ।
अगर आ जाए गुस्सा, तो कागज को भी मोड़ सकता हूँ।।
14. उदाहरण- 
आगे चले बहुरि रघुराई ।
पाछे लरिकन धुनी उड़ाई।।
15. उदाहरण- 
तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप,
साज मिले पंद्रह मिनट, घण्टा भर आलाप।
घण्टा भर आलाप, राग में मारा गोता,
धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता।
16. उदाहरण- 
जेहि दिसि बैठे नारद फूली।
सो दिसि तेहि न बिलोकी भूली।।
17. उदाहरण- 
बिहसि लखन बोले मृदु बानी, अहो मुनीषु महाभर यानी।
पुनी पुनी मोहि देखात कुहारू, चाहत उड़ावन फुंकी पहारु।
18. उदाहरण- 
हँसि-हँसि भाजैं देखि दूलह दिगम्बर को,
पाहुनी जे आवै हिमाचल के उछाह में।
19. उदाहरण- 
पूर्ण सफलता के लिए, दो चीज़ें रखो याद,
मंत्री की चमचागिरी, पुलिस का आशीर्वाद।
20. उदाहरण- 
विन्ध्य के वासी उदासी तपो व्रत धारी महा बिनु नारि दुखारे
गौतम तीय तरी तुलसी सो कथा सुनि भे मुनि वृन्द सुखारे।

हास्य रस की परिभाषा विद्वानों द्वारा-

ऊपर हमने हास्य रस की प्रचलित परिभाषा के बारे में जाना हैं इसके अलावा विभिन्न विद्वानों ने हास्य रस की अपनी-अपनी परिभाषा दी है। यहाँ कुछ प्रमुख विद्वानों की परिभाषाएँ हैं:

भरत मुनि

सबसे पहले हम भरत मुनि के द्वारा दिए गए परिभाषा के बार में बात करेंगे भरत मुनि भारतीय नाट्यशास्त्र के प्रणेता हैं इन्होंने Hasya Ras को कुछ इस तरह परिभाषित किया है: 
"विचित्रवेषभूषाकारणाद्भुतविलासात् हास्यः।"
जिसका हिन्दी अर्थ है विचित्र वेशभूषा और अद्भुत व्यवहार के कारण उत्पन्न होने वाले भाव को हास्य कहते हैं।

आचार्य विश्वनाथ 

आचार्य विश्वनाथ ने इस हस्य रस को कुछ इस तरह से परिभाषित किया है
"विचित्रवेषादि कारणात् हास्य रसो जायते।"
इसका हिंदी अर्थ है विचित्र वेशभूषा आदि कारणों से हास्य रस उत्पन्न होता है।

Hasya Ras Ke Prakar- हास्य रस का प्रकार

यहाँ पर हम हास्य रस के प्रकार के बारे में जानकारी देने वाले हैं और हास्य रस के बारे में संक्षिप्त विवरण भी देने वाले हैं। यह दो प्रकार का होता हैं जिनके नाम निम्नलिखित हैं। 
  • आत्मस्थ हास्य रस
  • परस्थ हास्य रस 

आत्मस्थ हास्य रस-

जब हम किसी व्यक्ति या चीज़ को देखकर हंसते हैं, तो उस हंसी को आत्मस्थ हास्य कहते हैं।

मान लीजिए, आपने एक ऐसा व्यक्ति देखा जिसने बहुत अजीब कपड़े पहने हुए हैं या जिसका चेहरा बहुत मजेदार लग रहा है। उस व्यक्ति को देखकर जो हंसी आती है, वह आत्मस्थ हास्य का एक उदाहरण है।

परस्थ हास्य रस-

परस्थ हास्य रस मतलब यह है कि हम किसी दूसरे व्यक्ति की हंसी को देखकर खुद भी हंस रहे हैं। उदाहरण के लिए मान लो कि जब आप अपने दोस्त को किसी बात पर हंसते हुए देखते हैं, तो आप भी उसकी हसीं देखकर हंस पड़ते हैं। यह भी परस्थ हास्य का ही एक उदाहरण है।

Hasya Ras Ke Bhav - हास्य रस के भाव 

रस का नाम हास्य रस
स्थाई भाव हास
अनुभाव हंसते-हंसते पेट पर बल पड़ना, आंखों में पानी आना, आंखों को मीचना,हंसी से ताली पीटना, मुस्कुराहट।
संचारी भाव अश्रु, हर्ष, चपलता, स्नेह, उत्सुकता, स्मृति, आवेग आदि।
आलम्बन अनोखी और विचित्र वेशभूषा, विकृत आकृति वाला व्यक्ति, मूर्खतापूर्ण चेष्टा करने वाला व्यक्ति, हंसाने वाली व्यक्ति।
उद्दीपन आलम्बन द्वारा की गई अनोखी एवं विचित्र चेष्टाएं।

Hasya Ras Ka Mahatva - हास्य रस का महत्व 

आपने अभी तक हिन्दी साहित्य के सबसे प्रचलित रस के बारे में जान लिया है कि हास्य रस क्या हैं, इसकी परिभाषा क्या होती है और इसके उदाहरण क्या हैं। अब हम आपको बताएँगे इसका साहित्य, समाज और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से क्या महत्व हैं। 

साहित्य में:

  • साहित्य को रोचक बनाता है और पाठकों को बांधे रखता है।
  • पात्रों और स्थितियों को अधिक गहराई से समझने में मदद करता है।

समाज में:

  • तनाव कम करता है और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
  • सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है और सकारात्मक माहौल बनाता है।

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से:

  • रचनात्मकता को बढ़ावा देता है और नई सोच को प्रेरित करता है।
  • नकारात्मक भावनाओं को कम करने में मदद करता है।

हास्य रस और व्यंग में अंतर - Hasya Ras Aur Vyang Me Antar 

अगर आप सोच रहे हैं कि हास्य रस और व्यंग दोनों एक ही समान हैं तो आप बिलकुल गलत हैं क्योकिं दोनों का शब्द भले ही एक समान लग रहा हैं लेकिन इनके अर्थ में काफी अंतर हो जाता हैं और यही कारण हैं कि यह अगल अलग हैं। आईये कुछ उदाहरणों से समझते है कि ये दोनों कैसे एक दुसरे से अलग हैं। 

हास्य रस

  • लक्ष्य: मनोरंजन करना, हंसाना।
  • प्रभाव: सकारात्मक, हर्ष, आनंद का भाव पैदा करता है।
  • उद्देश्य: मन को प्रसन्न करना, तनाव कम करना।
  • उदाहरण: एक हास्य फिल्म, चुटकुला, कॉमेडी शो।

व्यंग्य

  • लक्ष्य: समाज की बुराइयों, व्यक्तियों की कमियों पर प्रहार करना।
  • प्रभाव: हंसाने के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर करता है।
  • उद्देश्य: आलोचना, जागरूकता, सुधार लाना।
  • उदाहरण: व्यंग्य लेखन, राजनीतिक व्यंग्यचित्र, व्यंग्यपूर्ण टिप्पणी।

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल FAQs

Q.1- हास्य रस का अर्थ क्या होता है?

Ans- किसी पदार्थ या व्यक्ति की असाधारण आकृति, वेशभूषा, चेष्टा आदि को देखकर मन में जो विनोद का भाव उत्त्पन्न होता है, उसे हास्य रस कहा जाता है

Q.2- हास्य रस का स्थायी भाव क्या है?

Ans- हास्य रस का स्थायी भाव हास है।

Q.3- हास्य रस कितने प्रकार के होते हैं?

Ans- हास्य दो प्रकार का होता है -: आत्मस्थ और परस्त

Q.4- हास्य रस के अनुभव क्या है?

Ans- हास्य रस के अनुभाव – ठहाका, पेट हिलना, दाँत दिखना, पेट पकड़ना, मुँह लाल होना, चेहरा चमकना, आँखों में पानी आना आदि

Q.5- हास्य रस के देवता कौन है?

Ans- हास्य रस के देवता प्रमथ है।

निष्कर्ष- 

इस लेख में हमने Hasya Ras Ki Paribhasha के बारे में विस्तार से जानकारी दिया हैं। इस लेख में आपको हास्य रस  परिभाषा उदाहरण सहित मिल जाएंगे। यही नहीं यहाँ पर आपको Hasya Ras Ka Udaharan इतना सरल शब्दों में समझाया हैं कि आप आसानी से समझ सकते हैं। 

हमें ख़ुशी हैं कि हमने हिंदी साहित्य के सबसे प्रचलित हास्य रस की विस्तृत जानकारी आपके साथ शेयर किया हैं इसमें हमने हास्य रस की परिभाषा, हास्य रस के प्रकार और हास्य रस के भाव के अलावा हास्य रस क्या क्या महत्व हैं? 

यदि आपको इस लेख से संबंधित कोई भी अन्य जानकारी चाहिए तो हमें कमेंट में जरूर से बताएं। इसके अतिरिक्त अगर आपको यह पोस्ट हेल्पफुल लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें और ऐसे ही जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग को जरूर फॉलो करें। 

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